चीन में सत्ता परिवर्तन
चीन में नये नेतृत्व ने कार्य संभाल लिया है, देखना है कि वह वैश्विक समस्याओं के प्रति किस तरह का रुख अपनाता है| देश के नये नेता शी जिन्पिंग ने यद्यपि अपना रुख पूरी तरह स्पष्ट कर दिया है कि वह पुनरुत्थानशील राष्ट्रवाद के राजनीतिक सिद्धांत पर चलेंगे, लेकिन भारत जैसे देशों की चिंता यह है कि वह अंतर्राष्ट्रीय मामलों में पहले की तरह का आक्रामक रुख ही अपनाएँगे या उसमें कोई बदलाव लाएँगे|
गुरुवार १५ नवंबर को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की १८वीं कांग्रेस में शी जिन्पिंग देश के नए सर्वशक्तिमान नेता के रूप में स्थापित किए गए| वर्तमान समय में देश के उपराष्ट्रपति जिन्पिंग कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव के साथ केंद्रीय सैनिक आयोग (सेंट्रल मिलिटरी कमीशन) के भी अध्यक्ष होंगे| वर्तमान राष्ट्रपति हू जिन्ताओ ने पार्टी महासचिव एवं राष्ट्रपति के पद से हटने के साथ मुख्य सेनाध्यक्ष का पद भी नए नेता को सौंपने का निर्णय लिया है, अन्यथा चीन में परंपरया पार्टी महासचिव एवं राष्ट्रपति पद से हटने वाले नेता सेनाध्यक्ष का पद अपने पास रखते आए हैं, जिससे सत्ता से अलग होकर भी वह अपना प्रभाव बनाए रख सकें, किंतु हू जिन्ताओ ने नए नेता को सारी शक्तियों से संपन्न बनाने का फैसला किया है, जिससे कि वह देश के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों का पूरे अधिकार से सामना कर सके|
चीन में १० वर्षीय सत्ता परिवर्तन को २००२ में स्थाई आधार प्रदान किया गया, जब हू जिन्ताओ देश के नए राष्ट्रपति बने और अब यह परंपरा भी स्थापित हो गई है कि सैनिक और राजनीतिक दोनों ही शक्तियॉं नए नेता को एक साथ सौंप दी जाए| शी जिन्पिंग मार्च २०१३ में अपना नया पदभार ग्रहण करेंगे| नेता चुने जाने के बाद ५९ वर्षीय शी. जिन्पिंग विशेष रूप से आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में अपनी पूरी टीम के साथ उपस्थित हुए| यह रोचक था कि कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो की जिस स्थाई समिति के साथ वह प्रस्तुत हुए उसमें केवल सात सदस्य थे, जबकि पहले यह संख्या ९ थी| इसका मतलब है कि सत्ता का अधिकार और नियंत्रण अब कम हाथों में रहेगा तथा निर्णय लेने का कार्य प्रायः आम सहमति से करने का प्रयास किया जाएगा|
उन्होंने अपने भाषण में बिना मार्क्स या माओ का नाम लिए सीधे रोजमर्रा के यथार्थ पर बात की| उन्होंने सिद्धांत बघारने की कोशिश नहीं की| थोड़ी सैद्धांतिक बातों के साथ वह रोजगार और आवास के विषय पर आ गए और कहा कि पार्टी के सामने भारी चुनौतियॉं हैं, किंतु वह आम जनता और इतिहास की अपेक्षाओं को पूरा करने का काम करेगी| शी. जिन्पिंग के चयन से चीनी सम्भ्रांत वर्ग के उन लोगों को अवश्य निराशा होगी, जो नेतृत्व परिवर्तन के साथ देश की राजनीति एवं अर्थव्यवस्था में और खुलापन आने की आशा कर रहे थे| शी. जिन्पिंग की टीम देश की स्थापित परंपराओं को ही आगे ले जाने वाली टीम है| नेता चुने जाने के बाद जिन्पिंग ने अपना पद्भार संभाला, तो उनकी टीम के लोग भी पदक्रम या वरिष्ठता क्रम में उनके साथ खड़े थे| दूसरे स्थान पर ५७वर्षीय ली. कोकियांग थे, जो वेनजियाबाओ की जगह प्रधानमंत्री का पदभार संभालने वाले हैं| आगे के क्रम में उनकी स्थाई समिति के अन्य सदस्य थे- झांग डेजियांग (६५), यू झेंगशेंक (६६), लिन युनशान (६४), वांग किशान (६३), झांग गओली (६५)| इस ७ सदस्यीय टीम में से ६५ तथा ऊपर के आयु वर्ग के तीन सदस्यों के पॉंच वर्ष के सेवा काल के बाद सेवानिवृत्त कर दिए जाने की संभावना है, इसलिए जिन्पिंग के लिए यह सुविधा है कि पॉंच वर्ष बाद वह अपनी इस टीम में पॉंच नए सदस्यों को जोड़ सकते हैं| इसमें दो राय नहीं कि चीन का नया नेतृत्व पिछले की जगह कहीं अधिक शक्तिशाली तथा लक्ष्योन्मुख है| चीन के सामने सबसे बड़ा अपने को प्रथम विश्व शक्ति के रूप में स्थापित करने का है| दुनिया के अन्य बड़े देशों की राजनीति में जो बुराइयॉं घर कर चुकी हैं, उससे चीन भी अछूता नहीं है, बल्कि भ्रष्टाचार के मामले में वह पश्चिमी देशों को पीछे छोड़ गया है| देश की सर्वशक्तिमान कम्युनिस्ट पार्टी में भी मतभेदों की कमी नहीं थी| पार्टी की इस कांग्रेस में इन मतभेदों को दूर करने के लिए शीर्ष नेताओं को काफी मशक्कत करनी पड़ी| खैर, परिणाम अच्छा रहा और पार्टी कई आंतरिक संकटों से बाहर निकलने में सक्षम रही|
शी ने अपने भाषण में इस बात का पूरा संकेत दिया कि पुनरुत्थानशील राष्ट्रवाद उनका मुख्य राजनीतिक सिद्धांत होगा, जिसके सहारे वह आंतरिक विवादों, तिब्बत की अशांति तथा विवादित दियाओयू द्वीपों को लेकर जापान से चल रहे संघर्ष से निपटने का प्रयास करेंगे| यहॉं यह उल्लेखनीय है कि ८ नवंबर को जब से चीनी कम्युनिसट पार्टी की यह कांग्रेस शुरू हुई, तब से अब तक यानी १५ नवंबर तक ९ तिब्बती किशोर युवक आत्मदाह करके अपनी जान दे चुके हैं| जाहिर है कि तिब्बत भी उनके लिए कोई छोटी समस्या नहीं है| जी. जिन्पिंग ने अपने भाषण में स्पष्ट संकेत दिया कि वह पुरानी उपलब्धियों पर टिके नहीं रहेंगे, वह भ्रष्टाचार मिटाने, लोगों का जीवन स्तर सुधारने, जनता से और निकट का संबंध कायम करने तथा सुधारों को जारी रखने का कार्य करेंगे|
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