मंगलवार, 2 जुलाई 2013

'मुस्लिम ब्रदरहुड' का दबदबा

'मुस्लिम ब्रदरहुड' का दबदबा
मिस्र का बहुसंख्यक समाज इस्लामी तानाशाही के पक्ष में

मध्य पूर्व के अरबी भाषी क्षेत्र में आई लोकतांत्रिक क्रांति का असली रंग अब पूरी तरह सामने आ गया है| दुनिया में इस्लामी साम्राज्य का सपना देखने वाले संगठन 'मुस्लिम ब्रदरहुड' ने यह अच्छी तरह स्थापित कर दिया है कि जहॉं भी वह क्रांति सफल हुई है वहॉं अब उसका ही वर्चस्व है|

मिस्र, अरबी भाषी क्षेत्र का सबसे बड़ा देश है जहॉं आम चुनावों के बाद 'मुस्लिम ब्रदरहुड' का शासन स्थापित हुआ है| 'मुस्लिम ब्रदरहुड' के नेता मोहम्मद मोर्सी इसा अल ऐय्यत ने ३० जून २०१२ को देश के प्रथम निर्वाचित राष्ट्रपति के रूप में पद ग्रहण के तुरंत बाद देश में इस्लामी तानाशाही कायम करने का अभियान शुरू कर दिया| लेकिन उनके मार्ग का सबसे बड़ा रोड़ा देश का सर्वोच्च न्यायालय बन गया| उसने नवनिर्वाचित उस संसद को ही भंग कर दिया जिसे देश का नया संविधान बनाना था| इस संसद पर मुस्लिम ब्रदरहुड का आधिपत्य था इसलिए यह तय था कि वह अपनी मर्जी का संविधान बनाएगी और उसे पारित घोषित करेगी| सर्वोच्च न्यायालय ने इस संसद को ही भंग कर दिया| इस पर राष्ट्रपति मोर्सी ने एक नई १०० सदस्यीय संविधान समिति का गठन किया, जिसे संविधान निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई|
इस समिति ने संविधान का जो प्रारूप तैयार किया वह पूरी तरह इस्लामी शरियत पर आधारित है| इसमें 'सिविल राइट्स' (नागरिक अधिकारों) की बात तो की गई है लेकिन वह भी शरिया के अंतर्गत है| इसके साथ ही राष्ट्रपति ने अपने हाथ में असीमित अधिकार रखने की भी व्यवस्था कर ली और यह व्यवस्था भी कर ली कि उनके फैसलों को किसी अदालत में चुनौती भी न दी जा सके| विपक्षी मोर्चे ने जब इसका विरोध शुरू किया तो मोर्सी का जवाब था कि सर्वोच्च अदालत में पिछले राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के समय के न्यायाधीशों का वर्चस्व है जो नए बदलावों के खिलाफ हैं, इसलिए 'मुस्लिम ब्रदरहुड' की नीतियों को लागू करने के लिए उन्हें संपूर्ण और हस्तक्षेप रहित अधिकार चाहिए| इसके विरोध में विपक्षी संगठनों के मोर्चे 'नेशनल साल्वेशन फ्रंट' ने राजधानी काहिरा में जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन किया| इसका जवाब देने के लिए 'मुस्लिम ब्रदरहुड' ने प्रायः पूरे देश में उससे भी बड़ा प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति मोर्सी के कदम का स्वागत किया| विपक्ष इससे दबा नहीं, बल्कि अपने विरोध को पूरे देश के स्तर पर फैला दिया| राष्ट्रपति मोर्सी ने इसके बाद थोड़ा नरम रुख अपनाया और संविधान के प्रारूप से उस अंश को हटा दिया जिसमें उनके फैसलों को अदालत में चुनौती देने का अधिकार भी छीन लिया गया था| राष्ट्रपति ने संविधान के इस प्रारूप को जनता की स्वीकृति यानी लोकतांत्रिक वैधता प्रदान करने के लिए इस पर पूरे देश में जनमत संग्रह कराने का भी आदेश दिया था| विपक्ष इस जनमत संग्रह के भी पक्ष में नहीं था, किंतु राष्ट्रपति ने विपक्ष की इस मॉंग को मानने से साफ इनकार कर दिया| विपक्ष ने पहले तो इस जनमत संग्रह का बहिष्कार करने का आह्वान किया, लेकिन बाद में उसका डटकर विरोध करने का निर्णय लिया| जनमत संग्रह के लिए १५ दिसंबर एवं २१ दिसंबर को दो चरणों में मतदान हुए| दोनों चरण का मतदान मोर्सी के पक्ष में गया| मुस्लिम ब्रदरहुड की राजनीतिक शाखा 'फ्रीडम एंड जस्टिस पार्टी' की घोषणा के अनुसार राष्ट्रपति मोर्सी द्वारा तैयार कराए गए संविधान के मसौदे को आम जनता की स्वीकृति मिल गई है| इसके साथ ही अब देश में शरिया कानून लागू करने का रास्ता साफ हो गया है|
वस्तुतः मिस्र में हुई क्रांति इस्लामी क्रांति थी जो अमेरिकी प्रभाव के अंतर्गत काम करने वाली होस्नी मुबारक की तानाशाही को खत्म करने के लिए शुरू हुई| लोकतंत्र उसके लिए एक नाटक था, क्योंकि लोकतंत्र का सहारा लिए बिना होस्नी मुबारक की सत्ता को समाप्त करना संभव नहीं था| तानाशाही के खिलाफ लोकतंत्र का नारा एक ऐसा नारा था जिसका अमेरिका भी विरोध नहीं कर सकता था| अब यदि देश का बहुसंख्यक समाज इस्लामी शरिया के शासन के पक्ष में है तो चुनाव की लोकतांत्रिक प्रक्रिया उसके लिए कोई रुकावट नहीं बन सकती थी| वही हुआ भी| चुनाव हुए तो मुस्लिम ब्रदरहुड द्वारा गठित राजनीतिक पार्टी उसमें विजयी हुई और मोर्सी विधिवत राष्ट्रपति बन गए|
राष्ट्रपति बनते ही उन्होंने अपनी पहली घोषणा में २६ फरवरी १९९३ को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर विस्फोट करने के आरोप में गिरफ्तार आतंकवादी उमर अब्दुल रहमान को रिहा करने का फरमान जारी किया| इसके साथ ही मिस्र में इस्लामी क्रांति के दौरान मुबारक सरकार के समय गिरफ्तार किए गए क्रांतिकारियों को रिहा करने की भी घोषणा की गई| उमर अब्दुल रहमान ने १९९३ में ही न्यूयार्क के 'वर्ल्ड ट्रेड सेंटर' को ध्वस्त करने की योजना बनाई थी| उसने सेंटर के उत्तरी टावर के नीचे एक 'ट्रक बम' का विस्फोट कराया था| इस ट्रक में ६०६ किलो यूरिया नाइट्रेट और हाइड्रोजन का विस्फोटक था| योजना यह थी कि एक टावर ढहेगा तो वह दूसरे टावर पर गिरेगा और इस तरह दोनों टावर ध्वस्त हो जाएँगे| संयोगवश ऐसा नहीं हो सका, फिर भी विस्फोट में ६ लोग मारे गए और बहुत से अन्य लोग घायल हो गए थे| इस विस्फोट के मामले में इस मिस्री नागरिक को गिरफ्तार किया गया जो मुस्लिम ब्रदरहुड से भी जुड़ा था|
मोर्सी ने सत्ता का एकाधिकार अपने हाथ में लेने के लिए ही १२ अगस्त २०१२ को देश की संपूर्ण सशस्त्र सेना के नायक मोहम्मद हुसैन तन्तवी तथा थल सेनाध्यक्ष सामी हफीज अनाम को अपना पद छोड़ने का आदेश दिया| उन्होंने क्रांति के दौरान गठित 'सुप्रीम कौंसिल ऑफ फोर्सेज' द्वारा किए गए संविधान संशोधनों को रद्द कर दिया| अगले कदम में उन्होंने 'कमांडर ऑफ प्रेसिडेंशियल गार्ड' तथा गुप्तचर विभाग के प्रमुख को भी हटा दिया| अवांछित लोगों को हटाने के बाद उन्होंने २७ अगस्त को अपनी २१ सदस्यीय सलाहकार परिषद के गठन की घोषणा की| इसमें ३ महिलाओं तथा २ ईसाई प्रतिनिधियों को भी शामिल किया| बाकी में ज्यादातर इस्लामी शिक्षा से जुड़े प्रतिष्ठित लोगों को शामिल किया| इसके बाद उन्होंने २७ क्षेत्रों (प्रांतीय इकाइयों) के राज्यपालों को हटाकर उनकी जगह अपने लोगों को नियुक्त किया| यह सब करके वह मिस्र के सर्वशक्तिमान 'फराओ' की भूमिका में आ गए| आगे उन्हें अपने अनुकूल संविधान का निर्माण करना था| नए संविधान के द्वारा वह सर्वोच्च न्यायालय की बाधा हटाना चाहते थे| विपक्ष के उग्र विरोध के कारण उसमें थोड़ी बाधा अवश्य पैदा हो गई है, किन्तु संविधान का वर्तमान प्रारूप यदि स्वीकृत हो जाता है तो मिस्र में शरिया कानून पूरी तरह लागू हो जाएगा|
राष्ट्रपति मोर्सी ने सत्ता की बागडोर संभालने के बाद आंतरिक नीतिगत परिवर्तनों के साथ विदेशनीति की तरफ भी ध्यान दिया| उन्होंने इजराइल के प्रधानमंत्री शिमन पेरेस को एक मैत्रीपूर्ण पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने पेरेस को 'ग्रेट एण्ड गुड फ्रैंडफ लिखा मगर हमास के रॉकेट आक्रमणों के विरोध में जब इजराइल ने जवाबी कार्रवाई   (आपरेशन पिलर डिफेंस) शुरू की तो मोर्सी ने अपना प्रतिनिधि हमास के पास भेजा और गाजा पट्टी में फलस्तीनियों के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद की| उन्होंने कुछ विदेश यात्राएँ भी कीं| ११ जुलाई २०१२ को वह सबसे पहले सऊदी अरब की यात्रा पर गए और अरबी दुनिया के साथ घनिष्ठ संबंधों की जमीन तैयार करने का प्रयास शुरू किया| अगले महीने अगस्त में उन्होंने चीन की यात्रा की और उसके साथ कई समझौतों पर भी हस्ताक्षर किये| चीन की यह यात्रा बहुत महत्वपूर्ण थी, क्योंकि यह अमेरिकी प्रभाव से बाहर निकल कर अन्य देशों के साथ संपर्क बढ़ाने का प्रयास था|
वास्तव में अभी जो जनमत संग्रह कराया गया उसने पूरे देश को दो हिस्सों में विभाजित कर दिया है| एक तरफ कट्टरपंथी मुस्लिम ब्रदरहुड के समर्थक हैं, तो दूसरी तरफ उदारपंथी, सेकुलर तथा ईसाई समुदाय हैं| देश में करीब १० प्रतिशत ईसाई है| ऐसे मुस्लिमों की संख्या भी काफी बड़ी है, जिन्हें 'मुस्लिम ब्रदरहुड' की तानाशाही पसंद नहीं है| वे शरिया लागू किए जाने के विरोधी नहीं हैं, लेकिन वे किसी एक संगठन के हाथ में पूरी सत्ता नहीं सौंपना चाहते| स्त्रियों के साथ भी वे उस तरह का व्यवहार नहीं चाहते जैसा कट्टरपंथियों की नजर में आवश्यक है|
मोर्सी के समर्थक और विरोधियों में मतदान के पूर्व के करीबी तीन सप्ताह के संघर्ष में करीब १० लोग मारे गए हैं और १००० से अधिक लोग घायल हुए हैं| मिस्र में करीब ५ करोड़ १० लाख मतदाता हैं, जिनमें से करीब २ करोड़ ६० लाख ने १५ दिसंबर के मतदान में भाग लिया| बाकी लोग एक हफ्ते बाद अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे| पहले चरण में काहिरा तथा तटवर्ती शहर एलेक्जेंडरिया सहित १० प्रांतों में मत पड़े| विपक्ष के समर्थक एक समाचार पत्र ने एलेक्जेंडरिया में मोर्सी के समर्थकों का एक चित्र प्रकाशित किया है, जिसमें वे तलवार, छुरे तथा लाठियॉं लिए हुए हैं| देशभर के इमामों ने मस्जिदों में संविधान का समर्थन किया है, जबकि मोर्सी के विरोधी इसकी चिंता व्यक्त कर रहे हैं कि नया संविधान नागरिक स्वतंत्रता, स्त्रियों के अधिकारों तथा ट्रेड यूनियनों पर अंकुश लगा रहा है| इतिहास का एक दिन वह था जब क्लियोपैट्रा जैसी एक स्त्री मिस्र की शासिका थी, जबकि आज औरत दूसरे ही नहीं तीसरे दर्जे की नागरिक बन गई है|
मिस्र में आगे क्या होगा कहना कठिन है, लेकिन इतना तो तय है कि वहॉं अब शांति नहीं रह सकती| यह भी तय है कि नागरिकों का बहुमत कट्टरपंथी इस्लाम के साथ है इसलिए यदि बहुमत का शासन ही आधुनिक लोकतंत्र का पर्याय है तो ऐसे लोकतंत्र को ही लोकतंत्र का आदर्श मानने वालों को आँख बंद करके इसे स्वीकार कर लेना चाहिए, लेकिन यदि वे न्याय, वैचारिक स्वतंत्रता और मानवीय समानता के पक्षधर हैं तो खून देकर भी उसकी रक्षा के लिए आगे आने का साहस दिखाना चाहिए|

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