tag:blogger.com,1999:blog-4357481173344464761.post7640566009021513204..comments2023-11-02T20:37:27.806+05:30Comments on नव्यदृष्टि: डॉ. राधेश्याम शुक्लhttp://www.blogger.com/profile/17286181709521019647noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4357481173344464761.post-26466308042285935152011-06-26T16:43:37.905+05:302011-06-26T16:43:37.905+05:30अब देश चारों को से घिर रहा है... बाहर से इस्लाम और...अब देश चारों को से घिर रहा है... बाहर से इस्लाम और भीतर से ईसाई देशों का धन व धर्म परिवर्तन... दोनों ही देश के धार्मिक संतुलन को बिगाड रहे हैं। हिंदुत्व मे बिखराव है, राजनीति में तो वो अछूत है ही। किसी भी आंदोलन पर भाजपा या आर एस एस का ठप्पा लगा दो और ठप्प कर दो। वैसे भी देशवासी गुलामी के अभयस्त हैं ही, मानसिक रूप से आज भी हम गुलाम ह। इसका सबसे बड़ा प्रमाण है कि हमें न राष्ट्रभाषा, राष्ट्रध्वज या राष्ट्रगीत पर अभिमान है और न हम उसका सम्मान करना जानते है। एक विदेशी भाषा हमारी राष्ट्रभाषा है, एक विदेशी स्तुतिगान हमारा राष्ट्रगीत है और हमारे नागरिकों को राष्ट्रध्वज का प्रयोग करने तक में सावधानी बरतनी पड़ती है ,,, भले ही उसे कहीं और जला दिया जा रहा हो। ऐसे में, परिस्थिति अंधकारमय लगेगी ही॥चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4357481173344464761.post-44337334116229556542011-06-26T13:03:37.107+05:302011-06-26T13:03:37.107+05:30सवाल है कि सब कुछ जानते समझते हुए भी हम ऐसा क्यों ...सवाल है कि सब कुछ जानते समझते हुए भी हम ऐसा क्यों होने दे रहे हैं ? हम क्यों संघर्ष से पलायन कर रहे हैं ? क्या दुनिया के तमाम लोकतांत्रिक बुद्धिजीवी व राजनेता इस खतरे को बिल्कुल नहीं देख पा रहे हैं? और यदि देख पा रहे हैं, तो फिर किस दिन की प्रतीक्षा में है? क्यों नहीं साहसपूर्वक आगे आ रहे हैं?<br /><br /><br /><br />बिलकुल सही कहा आपने!विचारणीय है.....Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.com