tag:blogger.com,1999:blog-4357481173344464761.post4926096545814166161..comments2023-11-02T20:37:27.806+05:30Comments on नव्यदृष्टि: डॉ. राधेश्याम शुक्लhttp://www.blogger.com/profile/17286181709521019647noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4357481173344464761.post-13133760468217628092011-03-03T21:56:25.669+05:302011-03-03T21:56:25.669+05:30आपका ब्लॉग देखा बहुत अच्छा लगा बहुत कुछ है जो मे...आपका ब्लॉग देखा बहुत अच्छा लगा बहुत कुछ है जो में आपसे सिख सकता हु और भुत कुछ रोचक भी है में ब्लॉग का नया सदस्य हु असा करता हु अप्प भी मेरे ब्लॉग पे पदारने की क्रप्या करेंगे कुछ मुझे भी बताएँगे जो में भी अपने ब्लॉग में परिवर्तन कर सकूँगा में अपना लिंक निचे दे रहा हु आप देख सकते है<br /> http://dineshpareek19.blogspot.com/<br />http://vangaydinesh.blogspot.com/<br />धन्यवाद्<br />दिनेश पीकDinesh pareekhttps://www.blogger.com/profile/00921803810659123076noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4357481173344464761.post-23845879163530763182011-02-22T22:08:28.426+05:302011-02-22T22:08:28.426+05:30आपका आभार कि आपने बहस का संज्ञान लिया और इसके समाध...आपका आभार कि आपने बहस का संज्ञान लिया और इसके समाधान के लिए प्राचीन भारत की प्रणाली को अपनाने का सुझाव दिया। यह और बात है कि हमारे राजनीतिज्ञ अपने कांच के बंद महल में बैठे हैं। शायद इस विषय पर हिंदी पत्रकारिता में यह प्रथम चर्चा रही।चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.com